क्या आप भी देखते है एक बेहतर उत्तराखंड का सपना?


आर्यन प्रेम राणा, #VRIGHTPATH के संस्थापक
जिंदगी में सपना होना मानव जीवन के लिए वरदान है। वास्तव में सपने , इच्छाएँ ,महत्वकांगशाये ही तो हमारे जीवन के चालक है. ये  हमको कुछ करने की प्रेरणा देते है और इन्ही की वजह से हम यह जान पाते है की हमें करना क्या है व् हमें पाना क्या है. 

आपका सपना कुछ भी हो सकता है। इसरो का वैज्ञानिक बनकर चाँद व्  अन्य ग्रहो पर जीवन की सम्भावनाये तालसना, या फिर मोती बाग जैसी ऑस्कर नॉमिनेट डाक्यूमेंट्री बनाना या फिर अपने क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना या कारखाना लगाना, या अन्य कुछ भिन्न। कुछ सपने हम स्वयं साकार कर सकते है और कुछ  के लिए हम दुसरो की मदत लेते है।  

सपनो की ऐसी ही कड़ी में एक बेहतर उत्तराखंड का सपना भी है. एक ऐसा उत्तराखंड जो सपनो की उड़ान भरकर सबकी उम्मीद बन जाय. हमारी इन उम्मीदों का सबसे बड़ा तपका हमारी भविष्य की पीढ़ी है जो इस समय अपने लिए सुन्दर सपने सजोह रही है और ये उत्तराखंड के 17000 से भी ज्यादा  स्कूलों में पढ़ाई  कर रहे बच्चे है।  ये बच्चे यहाँ  उच्च स्तरीय मूल-भूत शिक्षण सुबिधाओं के आभाव के कारण अपने सपनो को उड़ान देने में शक्षम नहीं है।  हम सभी जानते है बच्चों के बौद्धिक विकास व प्रगतिशील सोच निर्माण में पुस्तके सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती  है  और उन्हें अपने सपनो को साकार करने में सक्षम बनाती है. इसी लिए महापुरुषों ने किताबो को हमारी सबसे अच्छी मित्र बताया है. 

इसी वास्तविक अवधारणा के आधार पर उत्तराखंड की धाद समाज सेवी संस्था ने भी यहाँ  के बच्चो को सक्षम बनाने के उदेश्य से एक सपना सजोया है जिसमे इन्होने अपने मिशन के पहले चरण में उत्तराखंड के सभी स्कूलो  में विशेष रूप से पर्वतीय गाँवो में लगभग 50 पुस्तके व् मासिक पत्रिकाएं उपलब्ध करना शामिल किया है. 

बता दे इस संस्था ने अब तक पूरे प्रदेश के अलग अलग जिलों में 300 से भी ज्यादा स्कूलों में पुस्तकालय के कोने संचालित किये गए है. और इस अभियान को और गति देने के लिए इन्होने हाल ही में मुंबई के कौथिक फाउंडेशन को इस सार्थक मुहीम में शामिल किया है जिसके सहयोग से बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडियों को सीधे अपने स्कूल  व् गांव से जुड़ने  का मौका मिला है और वे यहाँ भविष्य की पीढ़ी को प्रेरित कर हौसले के साथ आगे बढ़ने में मदत कर पा रहे है। 

कौथिग फाउंडेशन ने अनेक वर्षो से मुंबई में उत्तराखंडी लोगो को खास तौर पर युवाओं को उनकी संस्कृति और जड़ों के करीब लाने में सफलतापूर्वक एकजुट कर एक मजबूत पहाड़ी कम्युनिटी कनेक्ट स्थापित किया है.


और अब इनके माध्यम से 'धाद'  उत्तराखंड के सभी पर्वतीय क्षेत्र में ज्यादा मात्रा में आधुनिक और  उच्च स्तरीय पुस्तकों व् शिक्षण समाग्री  की व्यवस्था कर विधार्थियो को सशक्त बनाने के अपने लक्ष्य में लगातार तेजी से आगे बढ़ रहे है. 

इस संस्था के मुख्य कार्यकारी सदस्यों ने  इस अभियान की जानकारी देते हुए कहा है कि  उत्तराखंड के 17000 विधालयों  में से  ज्यादातर स्कूल  पहाड़ व्  दूरस्थ क्षेत्रो  में होने के कारण वहां उच्च स्तरीय पुस्तकों की व्यवस्था करना अपने आप मे बड़ी चुनौती है। धाद ने इस दिशा में समाज के सहयोग पर आधारित एक कार्यक्रम "कोना कक्षा का" विकसित किया है  जहां  ये संस्था  बड़ी संख्या में लोगो के सहयोग से हर स्कूल में पुस्तकों का एक कोना स्थापित करने के लक्ष्य पर काम कर रही है । इस कठिन मिशन की कामयाबी के लिए इन्होने विशेष रूप से पर्वतीय गाँव और उनके स्कूलों को जोड़ने के लिए सभी लोगों से अपने गाँव के स्कूल के साथ जुड़ने की अपील की है।

धाद यह कार्यक्रम पिछले डेढ़ साल से चला रही है जिसमे आज पूरे प्रदेश के अलग अलग जिलों में सैकड़ो कोने अलग अलग स्कूलो में चलाये जा रहे है और वहां के बच्चे चम्पक, नंदन, प्लूटो, चकमक, साइकिल और देश के सबसे प्रतिष्ठित प्रकाशकों की पुस्तकें पढ़ रहे है।

यदि आप भी चाहते है कि आपके गाँव तक दुनिया की सबसे अच्छी किताबे पहुंचे तो आप भी इस अभियान का हिस्सा बन सकते है। इसके लिए आपको प्रतिमाह 100 रुपये य सालाना 1200 रुपये का योगदान करना है.  धाद    इसके एवज में आपके स्कूल के कोने में आपके या आपके माता पिता के नाम से एक कोना स्थापित कर देंगे जिसके अंतर्गत हर वर्ष 25 किताबे(कक्षा पांच तक) 20 किताबे (कक्षा आठ तक) और एक मासिक/द्वैमासिक पत्रिका उपलब्ध करायी जाएगी। 



धाद  व्  कौथिक फाउंडेशन  मुंबई ने इस अभियान से जुड़ने की अपील उन सभी लोगो से  की है जो एक बेहतर उत्तराखंड का सपना देखते है और अपने गाँव या  उससे जुड़े क्षेत्र के लिये काम करना चाहते है उसे और सक्षम देखना चाहते है.  अगर आप भी अपने गांव के बच्चों की बेहतरी के लिये योगदान करने  की इच्छा रखते है. तो आज ही जरूर मिलाइये इस संस्था से हाथ।

आप को बस करना ये है कि आप अपने मूल गाँव का नाम उसकी पट्टी ब्लॉक का विवरण हमें भेज दीजिये। धाद के साथी वहां के स्कूल के अध्यापक से संपर्क कर वहां कोना स्थापित करने के लिए जरूरी काम स्वयं करेंगे।



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