महाकुंभ 2081 में 45 करोड़ लोग कैसे आ रहे हैं | सीने में जलन और अंधविश्वास क्यों हैं?
आर्यन प्रेम राणा, संस्थापक #VRIGHTPATH
जो लोग संदेह उठा रहे हैं, विवाद कर रहे हैं या इसे अंधविश्वास कह रहे हैं, उन्हें इन आंकड़ों और मुख्य तथ्यों को देखना चाहिए।
यह विशेष महाकुंभ मेला 12 कुंभ मेला चक्रों की पूर्णता को चिह्नित करता है, जिससे यह 144 वर्षों में एक बार होने वाला आयोजन बनता है। यह 44 दिनों तक चलेगा और इसमें लगभग 400 मिलियन आगंतुकों के आने का अनुमान है।
गुरुवार शाम को, एक भव्य जुलूस निकाला गया जिसमें सभी तेरह अखाड़ों और पंच अग्नि अखाड़े के संतों और साधुओं ने भाग लिया। यह जुलूस जगतगुरु शंकराचार्य द्वारका शारदा पीठाधीश स्वामी, श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज के शंकराचार्य शिविर में प्रवेश को चिह्नित करने के लिए आयोजित किया गया, जैसा कि एएनआई की रिपोर्ट में कहा गया है।
महाकुंभ 2025 | मुख्य बिंदु
गुरुवार को, महाकुंभ के चौथे दिन, तीन मिलियन से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम - गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में पवित्र स्नान किया, रिपोर्ट में कहा गया। , हालांकि, 11 से 16 जनवरी तक, सात करोड़ (70 मिलियन) से अधिक लोगों ने संगम में पवित्र स्नान किया, जैसा कि एक आधिकारिक बयान में कहा गया है। महाकुंभ 2025 में 45 करोड़ की भारी भीड़ होने की उम्मीद है।
अगली प्रमुख 'स्नान' (पवित्र स्नान) तिथि 29 जनवरी है और बड़े आयोजन के लिए तैयारियां पहले से ही की जा रही हैं। इसके बाद, अन्य प्रमुख 'स्नान' तिथियां हैं - 3 फरवरी, वसंत पंचमी के अवसर पर, 12 फरवरी, माघी पूर्णिमा के अवसर पर, और अंत में महाशिवरात्रि के अवसर पर 26 फरवरी को महाकुंभ का समापन।
महाकुंभ में 45 करोड़ लोग क्यों और कैसे आ रहे हैं।
मकरे च दिवानाथे वृषभे च बृहस्पतौ। कुम्भ योगो भवेतत्र प्रयागे चातिदुर्लभः । माघे वृषगते जीवे मकरे चन्द्रभास्करौ। अमायां च ततो योगः कुम्भारव्यतीर्थनायके ॥॥ (स्कन्द पुराण)
अर्थात माघ अमावस्या को गुरु वृष राशि में तथा सूर्य और चंद्र मकर राशि में हो तब प्रयाग में महापर्व कुंभ का योग बनता है। यह वर्ष माघ कृष्ण अमावस्या दिनांक 29 जनवरी सन् 2025 ई० को यह योग घटित हो रहा है।
अश्वमेद्य सहस्त्राणि वाजपेय शतानि च। लक्षं प्रदक्षिणा भूमेंः कुम्भस्नाने तत्फलम्।
अर्थात हजार अश्वमेध यज्ञ करने से, सौ वाजपेय यज्ञ और लाख बार पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो फल मिलता है, वही फल कुंभ स्नान करने से प्राप्त होता है।
कुंभ मेले का संक्षिप्त इतिहास
कुंभ मेले का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों और हिंदू पौराणिक कथाओं में मिलता है। समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक—पर गिरीं, जिन्हें पवित्र माना गया और यहीं पर कुंभ मेले का आयोजन होता है।
कुंभ मेले का पौराणिक महत्व
ये कहा जा रहा है कि महाकुंभ में 45 करोड़ लोग स्नान करेंगे। मकर संक्रांति के दिन ही 3.5 करोड़ लोगों ने स्नान किया था। ये सारे आंकड़े देखकर जिहादियों और कम्युनिस्टों के सीने में काफी जलन हो रही है।
हाल ही में अपने एक कार्यक्रम में एक सवाल खड़ा किया है कि यूपी सरकार ने ये कह दिया कि 45 करोड़ लोग स्नान करेंगे तो किसी ने इस आंकड़े पर प्रश्न क्यों नहीं खड़ा किया। आखिर कैसे ये मान लिया जाए कि इतने लोग आ रहे हैं। क्या गिनती का कोई तरीका है।
महाकुंभ के वैभव से चिढ़ रहे जिहादी और कम्युनिस्ट लिबरल भी काफी जल रहे हैं और अपने आस-पास मौजूद हिंदुओं से सवाल पूछ रहे हैं कि बताओ गिनती कैसे हो रही है।
घर बैठे गिनती
देखिए, 3000 स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं और सब फुल हो चुकी हैं, टिकट तो मिलना बड़ा ही मुश्किल हो रहा है। अब एक ट्रेन में 20 डिब्बे होते हैं और हर डिब्बे में औसतन 100 यात्री होते हैं। अगर एक ट्रेन एक बार में 2000 लोगों को लेकर आ रही है तो इस हिसाब से 3000 ट्रेनों से हर दिन 60 लाख लोग कुंभ पहुंच रहे हैं।
महाकुंभ की पार्किंग में 5 लाख गाड़ियों को रोके जाने की व्यवस्था है। अगर मान लीजिए न्यूनतम एक गाड़ी में 4 लोग भी बैठें तो भी 20 लाख लोग हर रोज गाड़ियों से आ रहे हैं और ये सबको पता है कि पार्किंग भी फुल है।
7000 स्पेशल बसें चल रही हैं। अगर हर बस में कम से कम 60 लोग मानें तो भी 4 लाख से ज्यादा लोग हर दिन बस से आ रहे हैं। और सबसे बड़ी बात कि ये स्पेशल बस और ट्रेनों की बात हो रही है, सामान्य ट्रेनों और बसों से भी इतने ही लोग आ रहे हैं।
यानी अगर स्पेशल ट्रेन, बसें और गाड़ियों की पार्किंग को ही देख लें तो 60 लाख प्लस 20 लाख प्लस 4 लाख... यानी करीब 85 लाख तो यही हो गए। करीब एक करोड़ का हिसाब तो आप घर बैठे ही लगा सकते हैं।
एआई की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके कुंभ में आने वाले लोगों की गिनती की व्यवस्था कर ली है। ड्रोन से कैमरे की फोटो अत्याधुनिक तरीके से बता सकती है कि कितने लोग इतने किलोमीटर में मौजूद हैं। और दूसरी तरफ रात में थर्मल काउंटिंग होती है, यानी ह्यूमन हीट को मापने वाली मशीन लगाकर भी थर्मल तरीके से काउंटिंग हो रही है।
महाकुंभ में स्नान का क्षेत्र पूरे 20 किलोमीटर में फैला हुआ है। करीब डेढ़ लाख तो टॉयलेट ही बनवाए गए हैं। इस बार पानी भी बहुत साफ है। बहुत अच्छी व्यवस्था है। पूरी दुनिया इतना बड़ा मेला देखकर दांतों तले अंगुली दबा रही है लेकिन हमारे देश में रवीश कुमार जैसे लोग हिंदू धर्म और कुंभ के खिलाफ नकारात्मक बातें फैलाने में लगे हुए हैं। ऐसे सभी लोगों को जवाब दीजिए और जलाने के लिए ये लेख वायरल करवाइए।
कुंभ मेले तक पहुँचने के मार्ग
विस्तारित उड़ान सेवाएँप्रयागराज हवाई अड्डा अहमदाबाद, जयपुर, बेंगलुरु, दिल्ली, हैदराबाद, रायपुर, लखनऊ, भुवनेश्वर, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों से सीधी उड़ानों के साथ एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। 150 से अधिक वीवीआईपी उड़ानों के प्रबंधन के लिए, आसपास के जिलों और राज्यों में अतिरिक्त हवाई पट्टियों का उपयोग किया जा रहा है।
प्रयागराज हवाई अड्डे से मेले के मैदान तक पहुँच
हवाई अड्डे के बाहर उपलब्ध निजी टैक्सी और सिटी बसें यात्रियों को पार्किंग क्षेत्रों तक ले जाएंगी। विभिन्न स्थानों पर संकेत बोर्ड और स्वयंसेवी संगठन श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करेंगे।
रेलवे कनेक्टिविटी
भारतीय रेलवे 13,000 से अधिक ट्रेनों का संचालन कर रहा है, जिनमें 10,000 नियमित और 3,000 से अधिक विशेष ट्रेनें शामिल हैं। इन सेवाओं की जानकारी रेल सेवा ऐप और आधिकारिक वेबसाइटों के माध्यम से उपलब्ध है। स्टेशनों
पर विभिन्न भाषाओं में पर्चे और नेविगेशन के लिए रंग-कोडिंग प्रणाली की व्यवस्था की गई है।
स्टेशनों से मेले के मैदान तक पहुँचने के मार्ग
प्रयागराज जंक्शन: ई-रिक्शा, टेम्पो, या निजी टैक्सी के माध्यम से मेले के मैदान तक पहुँच सकते हैं।
छिंकी जंक्शन और नैनी स्टेशन: निजी टैक्सियों और ई-रिक्शा की व्यवस्था, यमुना पुल पार करके मेले तक पहुँचने की सुविधा।
राम बाग सिटी और प्रयागराज संगम स्टेशन: संगम तक पैदल दूरी; मुख्य स्नान के दिनों में विशेष व्यवस्थाएं।
प्रयाग स्टेशन: बक्सी बांध और दारागंज तक यात्री ट्रेनों द्वारा और फिर थोड़ी दूरी पैदल।
झूंसी और फाफामऊ स्टेशन: यात्री ट्रेनें और निजी वाहन मेला क्षेत्र तक; गंगा नदी पर बनाए गए पंटून पुलों के माध्यम से आसान पहुँच।
सुबेदारगंज स्टेशन: प्रमुख शहरों से जुड़ाव, संगम तक पहुँचने के लिए निजी वाहन उपलब्ध।
सड़क परिवहन
7,000 से अधिक बसें जिलों से चलेंगी, और नैनी, झूंसी, और फाफामऊ में अस्थायी बस स्टेशन बनाए गए हैं। प्रमुख स्नान के दिनों में, भीड़ नियंत्रण के लिए सिविल लाइंस और जीरो रोड बस स्टेशनों का संचालन इन अस्थायी स्थलों पर स्थानांतरित कर दियाजाएगा।
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